डॉ. रामबली मिश्र
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मदिरा सवैया
नाचत गावत जागत सोवत सोचत सादर पावन है।
मानस भावन मोहक मोदक मादक लोकलुभावन है।
पारस कंचन खान रचे गुणगान सदा शिव सावन है।
याचक जो प्रतिदान करे सबकी सह ले मनभावन है।
Abhilasha deshpande
12-Jan-2023 05:36 PM
Nice
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अदिति झा
12-Jan-2023 04:21 PM
Nice 👍🏼
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Abhilasha deshpande
12-Jan-2023 05:36 PM
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अदिति झा
12-Jan-2023 04:21 PM
Nice 👍🏼
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