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मदिरा सवैया




मदिरा सवैया


नाचत गावत जागत सोवत सोचत सादर पावन है।


मानस भावन मोहक मोदक मादक लोकलुभावन है।


पारस कंचन खान रचे गुणगान सदा शिव सावन है।


याचक जो प्रतिदान करे सबकी सह ले मनभावन है।

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2 Comments

Abhilasha deshpande

12-Jan-2023 05:36 PM

Nice

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अदिति झा

12-Jan-2023 04:21 PM

Nice 👍🏼

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